Monday, 12 April 2021

वो कहतें है '

वो कहतें है
चलो, ज़िन्दगी से एक 
समझोता करतें है, 
साथ बिताने की तमाम 
खवाहिशों को मार 
एक मशवरा करतें है,
दूर रहकर 
साथ होने का 
एक खेल रचते है,
एक जीवन में 
दो किरदार निभाने का 
चलो, एक वादा करतें है,
कहीं भी रहे इस जग में 
हम मगर 
कभी न भूलने का 
एक ख़ुफ़िया ऐलान करतें है,
मैं कहता हूँ
मेरे प्रिय 
बाकि वादों की तरह 
यें वादें और यें मीठी- सी 
कसमें भी 
टूट जाएगी
राख़ बनकर हवा संग 
उड़ जाएगी,
जब मजबूती हमारी 
इन ख्यालों से 
खोखली हो जाएगी 
तब विकल्प तुम्हारें 
विकल्प ही रह जाएगा !! 

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 


No comments:

Post a Comment

एक पत्र दादा जी के नाम

दादा जी                                        आपके जाने के   ठीक एक महीने बाद   मैं लिख रहा हूँ पत्र   आपके नाम , मैं पहले...