Monday, 12 August 2024

फिर वहीं शाम


फिर वहीं शाम 

तुम्हारे बिना 

वहीं पेड़ 

वहीं छाँव 

तुम्हारे बिना 

वो पार्क 

वहीं हवा 

वो एकांत 

वो ख़ालीपन

वो सड़कें 

वो आसमान 

तुम्हारे बिना 

वो क़दमताल

मेरा हाथ 

मेरी नज़रें

मेरे नज़ारें

तुम्हारे बिना 

वो चाँद 

वो तारें

वो बादल

वो बरसात

फिर वहीं शाम 

तुम्हारे बिना ।।


——— नीरज माही 

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