Thursday 10 December 2020

मानवाधिकार दिवस और तुम

इस मानव अधिकारों के
दिवस पर
मैं भी अपने कुछ अधिकारों को
सुनिश्चित करना चाहता हूँ,
तुझको अनिमेश देख
तुझमें ही खोना चाहता हूँ,
तेरे चेहरे की
शिकन में छुपी सुंदरता को
पाना चाहता हूँ,
हर पल तेरे साथ हो
जीने का अधिकार चाहता हूँ,
तेरी आँखों में छुपी हँसी को
हरदम साथ ले ,
आजीविका का अधिकार चाहता हूँ
तेरी घनी घुंघराली ज़ुल्फ़ों में
आवास का अधिकार पाना चाहता हूँ ,
तेरी आँखों में
खो जाने की स्वतंत्रता का
अधिकार चाहता हूँ,
तू यूँ ही हँसती रहे
ख़्वाब आँखों में तेरी
ऊँची उड़ान भरने के
यूँ ही पलते रहे
और
जीने की ख़्वाहिश मुझमें
यूँ ही हर दम तू भरती रहे
और
मानव दिवस हर दम
मुझे तुझ-सा दिखता रहे ।

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

घर की याद किसको नहीं आती है !

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