तमाम वाहनों की शोरगुल में भी
हमारा एकांत-सा हो जाना,
नेहरु गार्डन की
अधपकी छांव में भी
सुकून-सा महसूस होना
उसकी बेपरवाह हँसी में
गुलाबीनगर की ख़ूबसूरती का
कहीं खो जाना
एक अच्छा एहसास देता है,
ऑटो में उसका सटकर बैठना
एक दूरी तय करना
उसकी खूशबु का मुझमें उतर जाना
अच्छा लगने लगा है,
उसका पिछली अनेक
अनकही बातों का
बिना रुके बड़ी नाजुकता से
बयाँ करना
इसी बीच मेरा उसकी ज़ुल्फ़ों को
पकड़कर खेलना
इश्क़ में नया पेगाम रचना
बड़ा अच्छा लगने लगा है,
सुबह से कुछ भी न खाने पर भी
भूख का न लगना
इश्क़ में पिंक होना ही तो है ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
हमारा एकांत-सा हो जाना,
नेहरु गार्डन की
अधपकी छांव में भी
सुकून-सा महसूस होना
उसकी बेपरवाह हँसी में
गुलाबीनगर की ख़ूबसूरती का
कहीं खो जाना
एक अच्छा एहसास देता है,
ऑटो में उसका सटकर बैठना
एक दूरी तय करना
उसकी खूशबु का मुझमें उतर जाना
अच्छा लगने लगा है,
उसका पिछली अनेक
अनकही बातों का
बिना रुके बड़ी नाजुकता से
बयाँ करना
इसी बीच मेरा उसकी ज़ुल्फ़ों को
पकड़कर खेलना
इश्क़ में नया पेगाम रचना
बड़ा अच्छा लगने लगा है,
सुबह से कुछ भी न खाने पर भी
भूख का न लगना
इश्क़ में पिंक होना ही तो है ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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