Monday 12 April 2021

मूर्तियाँ

कोई भी मूर्ति                                                 
सिर्फ़ मूर्ति नहीं
होती है,
कुछ मूर्तियाँ स्त्रोत
होती है प्रेरणा का
तो
कोई ज़ुल्मों का
प्रतीक होती है,
किसी में छुपी
होती है,
कहानी संघर्षों की
तो
कुछ बेवजह जगह घेरे
विद्यमान होती है,
हर मूर्ति पत्थर की
होकर भी पत्थर दिल
नहीं होती है,
उनमें भरी होती है
रहमदिली,
वे करुणा, दया
और सद्भाव का
संदेश देती है,
इसीलिये तो
नफ़रत फैलाने वालों
द्वारा
ऐसी ही
मूर्तियों को तोड़ा
जाता है,
उन्हें कचरें के ढेर में
फेंक दिया जाता है
ताकि कोई
न्यायपसंद व्यक्ति
टूट जाए अंदर से

न्याय, सद्भाव व भाईचारे
की
बात करने से पहले सोचे
हज़ार बार
क्योंकि
न्याय की प्रतीक
यें मूर्तियाँ
उसे प्रेरित करतीं है
और जब इनको
तोड़ा जाता है
बार-बार
तब वो व्यक्ति भी
टूटता है उतनी ही बार !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

वो कहतें है '

वो कहतें है
चलो, ज़िन्दगी से एक 
समझोता करतें है, 
साथ बिताने की तमाम 
खवाहिशों को मार 
एक मशवरा करतें है,
दूर रहकर 
साथ होने का 
एक खेल रचते है,
एक जीवन में 
दो किरदार निभाने का 
चलो, एक वादा करतें है,
कहीं भी रहे इस जग में 
हम मगर 
कभी न भूलने का 
एक ख़ुफ़िया ऐलान करतें है,
मैं कहता हूँ
मेरे प्रिय 
बाकि वादों की तरह 
यें वादें और यें मीठी- सी 
कसमें भी 
टूट जाएगी
राख़ बनकर हवा संग 
उड़ जाएगी,
जब मजबूती हमारी 
इन ख्यालों से 
खोखली हो जाएगी 
तब विकल्प तुम्हारें 
विकल्प ही रह जाएगा !! 

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 


घर की याद किसको नहीं आती है !

घर की याद किसको नहीं आती है, चाहे घर घास-फुस का हो या फ़िर महलनुमा हो घर की याद किसको नहीं आती है, जहाँ माँ हर वक़्त राह देखती हो, पिता जहाँ ख़...