Wednesday, 18 March 2020

रेलवे स्टेशन और तुम

रेलवे स्टेशन पर 
जब मैं 
अनजान-सी आकर 
बैठ जाती हूँ ..
और फिर 
तुम भी किसी 
यात्री की भांति 
आकर बगल में 
जब बैठते हो ...
और 
सिर झुकाकर 
अनजान बनकर 
बात करते हो ..
मैं भी सहमी-सी 
सिर हिलाकर 
हर बात का 
जवाब देती हूँ..
मालूम है कि 
एक शहर में 
रहते हुए 
एक दुसरे को 
जानते हुए भी,
अनजान बनकर 
प्यार करना 
कठिन होता है 
मगर एक सुकून भी 
देता है ||

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

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