Wednesday, 25 March 2020

लॉकडाउन और तुम

इक्कीस दिनों का
यें लॉकडाउन 
तुम्हारे बिन 
मुश्किल है,
पर जीवन में 
हमेशा साथ होने 
के लिए 
यें दूरी
जरूरी भी तो है,
मालूम है कि
सब कुछ ठीक 
हो जायेगा
पर 
एक भय गहरा-सा 
सब कुछ ठहरा-सा 
स्मृतियां लाता है 
पुरानी 
बीती जो संग तुम्हारे
वो रातें याद आती है 
जो काली थी 
मगर उजली-सी 
लगती थी
आने वाली रातें 
कैसी होगी ?
सोचकर मन 
भयभीत हुए जाता है ..
लेकिन 
धुंधली-सी तुम्हारी 
वो मुस्कान 
सब कुछ भुला दिए 
जाती है 
और
फिर से तुमसे मिलने 
की चाह 
मन में उमंग भरे 
जाती है !!!

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

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