Friday, 29 May 2020

पत्थर बन तू

पत्थर बन तू
मज़बूत हो,
ख़ुद से कर प्रेम
आँखो के धोके से
बाहर निकल तू,
भावनाओं के झंजाल से
काल्पनिक संसार से
नाता तोड़ तू,
बारिश के प्रेम को भूल तू
ख़्वाबों के महल को
तोड़ तू ,
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को
पहचान तू ,
ज़ुल्फ़ों की छांव को
आँखों के महताब को
और
यौवन के आँचल को
छोड़ तू,
अग्नि में जल
बन ज्वाला तू !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

Monday, 18 May 2020

पल -पल टूटना

हर रोज़,हर पल   
टूटता हूँ,
टूट कर ,फिर से
जुड़ने की कोशिश में
बार-बार टूटता हूँ,
कभी-कभी
सोचता हूँ,
टूटा ही रहूँ,
पर
सबकुछ भूल
एक नयी राह
बनाने की सोच,
थोड़ा चलता हूँ,
इसी बीच
कुछ देख
ठिठक जाता हूँ,
कुछ सोच
पुनः टूटता हूँ !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

हदों के पार वाला प्रेम

हम उम्र के न होने  
पर भी,
उनका आपस में प्यार 
करना 
जुर्म साबित हुआ,
समाज के ताने तो
मिले ही,
हर वक़्त डर बना रहा
घर वालों को
पता चलने पर घर से
निकाले जाने का
इसीलिए शायद वो
हर वक़्त उसका
हाथ पकड़े रहती है
ताकि तमाम जुमलों
को भूल
वो
सुरक्षित महसूस
कर सके उसके हाथों में  !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

Thursday, 14 May 2020

धर्म एक अफीम है

Pic Courtsey- googleविचारों व तर्कों का
जब तुम सामना जो
नहीं कर पाओगे
तब तुम
धारदार हथियार व बंदूके
लेकर  आओगे,
कोई जो करेगा सवाल

होगा गर जो असहमत
तुमसे
वहीं उसे तुम
मार डालोगे,
मरी गायों को
जब कोई घसीटकर
ले जायेगा,
तब गौभक्ति तुम्हारी
जागेगी
और गौगुंडे बन कर
तुम आ जाओगे,
मानवता को शर्मसार
कर दे जो
हर वो कृत्य
खुलेआम तुम कर जाओगे,
समरसता के नाम पर
दलितों व आदिवासियों
को हिन्दू बनाकर
भाषणों में,
जब तुम सत्ता पर काबिज
हो जाओगे
तब तुम
हिन्दूराष्ट्र बनाने को
इन्हीं दलित-आदिवासियों
का सबसे पहले
कत्लेआम करोगे,
रोजगार जो
कोई मांगेगा
भूखे पेट जो
कोई बिलखेगा
उस वक़्त
उन्हें तुम
राम लल्ला
याद दिलाओगे -2 !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

Sunday, 10 May 2020

बिन माँ के

माँ की मृत्यु के बाद       
क्या हालत होगी उस बच्चे की 
छोड़ चली दामन जिसकी अपनी प्यारी माँ 
प्यार भी न मिला होगा, आँचल का सुख भी 
न भोग पाया होगा,
तब अचानक
चल बसी होगी जिसकी स्नेहशीलमयी माँ

हो गया होगा बेसहारा बेचारा, नहीं रहा होगा 
जिसका कोई सहारा
रोता होगा दिनभर माँ की याद में अपनी 
लेकिन 
मिला न होगा आंसू पोंछने वाला कोई सहारा,
पुकारता होगा माँ को अपनी जहाँ में सारे 
मिली न होगी लेकिन उसकी अपनी माँ

नयी माँ आयी भी होगी
 तो
बन न सकी होगी उसकी माँ 
दे न सकी होगी अपनी माँ-सा प्यार
फ़िर वे बेचारा पुकारने लगा होगा 
अपनी माँ को फ़िर से आज 

कितनी मुश्किल से बढ़ रहा होगा 
शरीर उसका अपनी माँ की याद में 
कट रहा होगा,
फ़िर भी वह इस दुनिया में
तमाम मुश्किलों का सामना कर रहा होगा,

माँ की ममता से अधूरा उसका जीवन 
कैसे कट रहा होगा ?
माँ के आँचल में सोने का
मन उसका भी तो हो रहा होगा !!
माँ के पैर छूने का दिल 
उसका भी तो करता होगा !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 



भैंस और मेरी माँ

मेरी माँ की सांसें 
उसकी भैंस में 
बसतीं थी,
मेरी माँ की भैंस 
कुछ दिन पहले ही
मर गयी,
माँ हर वक़्त रोतीं 
रहतीं है,
भैंस ने मरने से
कुछ दिन पहलें
एक बछड़े को 
जन्मा था,
माँ उसे हर वक़्त 
दुलारती है,
उसकी माँ तो लौटा
नहीं सकतीं है
पर 
उसे उसकी माँ-सा
प्यार-दुलार देने की
कोशिश करती रहती है
मेरी माँ 
हर वक़्त
भैंस के साथ बितायें 
पलों में
खोयीं-सी रहतीं है



द्वारा - नीरज 'थिंकर'

Friday, 8 May 2020

मैं जानता हूँ

मैं जानता हूँ  
कि 
तुम नहीं आओगी            
फ़िर भी 
हर सुबह दरवाजे पर 
तुम्हारी ही राह तकता हूँ,
आने-जाने वाले 
हर शख्स से 
तुम्हारी ही बातें करता हूँ,
अरसा बीत गया मिले हुए 
पर 
लगता है जैसे 
अभी-अभी गए हो मिलके,
जानता हूँ 
भुला दिया है तुमने मुझें 
फ़िर भी
तुम्हारे लौट आने की 
हर वक़्त आँखों में 
एक आस लिए फिरता हूँ,
तुम्हारी शरारतें याद करके
हर रोज दिल को 
खुशनुमा मैं करता हूँ 
जानता हूँ तुम दूर हो मगर 
पास होने का ख़याल लिए
मैं मरने से हर रोज बचता हूँ !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर'



चलते-चलते चले जाएंगे

चलतें-चलतें घर  
पहुंच जाएंगें
पांवों के छाले भी 
सह जाएंगें 
हाथ में दो रोटी 
बांध बग़ल में 
गठरी 
हम चले जाएंगें,
हम रोएंगें
हम गिड़गिड़ाएंगें 
फ़िर भी
यें सरकार जो 
न सुनेगी तो 
हम चलते-चलते ही
चले जाएँगें,
हम हर शहर में 
हर चौराह पर 
अपना दर्द बताएंगें 
फ़िर भी 
पुलिस जो डंडें मारेगी 
तो 
हम उस दर्द को भी 
सहते-सहते 
चले जाएंगें,
घर पहुँचनें की आस लिए 
बच्चों को ढाँढ़स बंधाएं 
सूखी रोटी खाते-खाते 
हम चले जाएंगें,
राह जो हम भटकेंगें 
तो 
सूनी-सूनी पटरियों को 
राह बनाकर
हम चले जाएंगें
थकेंगें जो ग़र कहीं तो 
उन्हीं पटरियों पर 
हम सो जाएंगें,
हम चलते-चलते 
चले जाएंगें !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 







Thursday, 7 May 2020

ख़ामोशी

ख़ामोश हूँ मैं
चुप वो भी है,
शिकायत थोड़ी
उनसे हमें भी है
थोड़ी हमसे
उन्हें भी है,
इंतजार हम भी
करते है उनका
इंतजार वो भी
करते है हमारा,
बातें याद करके
पुरानी
वो भी रोते है
तो
कभी हम भी,
चेहरा उनका 
दिल में मेरे
मेरा दिल में उनकें 
आज भी ज़िंदा है,
पल जो बीते
सुनहरे साथ उनकें
ताज़ा आँखों में मेरी
आज भी है,
बात करने को
बेताब उनकीं आँखें
बया करती कहानी
सबकुछ तस्वीरों में
जीवित आज भी है,
कौन करें शुरुआत
फिर से
हिचक थोड़ी उन्हें
भी है,
थोड़ी हमें भी है ,
इश्क़ उनसे थोड़ा
मुझें आज भी है !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

एक पत्र दादा जी के नाम

दादा जी                                        आपके जाने के   ठीक एक महीने बाद   मैं लिख रहा हूँ पत्र   आपके नाम , मैं पहले...