Friday, 8 May 2020

मैं जानता हूँ

मैं जानता हूँ  
कि 
तुम नहीं आओगी            
फ़िर भी 
हर सुबह दरवाजे पर 
तुम्हारी ही राह तकता हूँ,
आने-जाने वाले 
हर शख्स से 
तुम्हारी ही बातें करता हूँ,
अरसा बीत गया मिले हुए 
पर 
लगता है जैसे 
अभी-अभी गए हो मिलके,
जानता हूँ 
भुला दिया है तुमने मुझें 
फ़िर भी
तुम्हारे लौट आने की 
हर वक़्त आँखों में 
एक आस लिए फिरता हूँ,
तुम्हारी शरारतें याद करके
हर रोज दिल को 
खुशनुमा मैं करता हूँ 
जानता हूँ तुम दूर हो मगर 
पास होने का ख़याल लिए
मैं मरने से हर रोज बचता हूँ !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर'



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