Saturday 15 December 2018

ठण्ड और वो

ठिठुरन पैदा कर देने 
वाली सर्दी में भी 
उसका,
सिर्फ कंधो तक ही 
चादर को ओढना,
ऐसा नहीं है कि 
उसे ठण्ड नहीं लगती है 
इसका अंदाजा उसके 
दोनों हाथों का जेब में 
निरंतर सिकुड़ते हुए रहने से 
बख़ूबी लगाया जा सकता है, 
पर 
बस उसे खुले बालों में 
रहना अच्छा लगता है,
और साथ ही 
लोगों को इस कड़ाके की 
ठण्ड में 
घायल करना भी |

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

घर की याद किसको नहीं आती है !

घर की याद किसको नहीं आती है, चाहे घर घास-फुस का हो या फ़िर महलनुमा हो घर की याद किसको नहीं आती है, जहाँ माँ हर वक़्त राह देखती हो, पिता जहाँ ख़...