हर दुःख की घड़ी मेंयाद माँ तू ही आती है
आँखो से आँसू झर-झर
जब जाता है,
तुझे ही पुकार मैं
हिम्मत जुटाता हूँ
माँ तुझे ही सोचकर
हर नया क़दम
मैं बढ़ाता हूँ,
तेरी ख़ुशी के लिए
मैं अपनी हर ख़ुशी
लुटाने को तैयार हूँ,
हर ग़म सहकर
तूने जो मुझे
मुस्कान दी,
मेरी ख़्वाहिश है
इसके बदलें
मैं भी तुझे
वो मुस्कान दूँ ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
आँखो से आँसू झर-झर
जब जाता है,
तुझे ही पुकार मैं
हिम्मत जुटाता हूँ
माँ तुझे ही सोचकर
हर नया क़दम
मैं बढ़ाता हूँ,
तेरी ख़ुशी के लिए
मैं अपनी हर ख़ुशी
लुटाने को तैयार हूँ,
हर ग़म सहकर
तूने जो मुझे
मुस्कान दी,
मेरी ख़्वाहिश है
इसके बदलें
मैं भी तुझे
वो मुस्कान दूँ ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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