Creator: John Gordon |
एक ही साँस में
बिना रुके, बिना थके
सांसों को रोके
सब कुछ कह देना
चाहती है,
क्योंकि उसे मालूम है
मैं, कम वक़्त के लिए
ही गाँव आता हूँ
और
वो उसी कम वक़्त में
सुना देती है
इंदिरा गाँधी की हत्या
से गाँव में छाए मातम
का द्रश्य,
ऊंट पर गाँव में
आने वाली पुलिस के
रौब ज़माने वाली बातें,
उसके पिता, माँ
और भाइयों के मरने की
आँखों देखी घटनाएँ
वह साथ में रोतीं भी
जाती है,
हर बार
जब भी मिलता हूँ
दादी से
वो ही कहानियां, घटनाएँ
बिना किसी बदलाव के
वो हर बार सुनाती है मुझे
एक ही साँस में !!
द्वारा- नीरज 'थिंकर'
जब भी मिलता हूँ
दादी से
वो ही कहानियां, घटनाएँ
बिना किसी बदलाव के
वो हर बार सुनाती है मुझे
एक ही साँस में !!
द्वारा- नीरज 'थिंकर'
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