Saturday 8 May 2021

माँ

हर दुःख की घड़ी में
याद माँ तू ही आती है
आँखो से आँसू झर-झर
जब जाता है,
तुझे ही पुकार मैं
हिम्मत जुटाता हूँ
माँ तुझे ही सोचकर
हर नया क़दम
मैं बढ़ाता हूँ,
तेरी ख़ुशी के लिए
मैं अपनी हर ख़ुशी
लुटाने को तैयार हूँ,
हर ग़म सहकर
तूने जो मुझे
मुस्कान दी,
मेरी ख़्वाहिश है
इसके बदलें
मैं भी तुझे
वो मुस्कान दूँ ।

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

घर की याद किसको नहीं आती है !

घर की याद किसको नहीं आती है, चाहे घर घास-फुस का हो या फ़िर महलनुमा हो घर की याद किसको नहीं आती है, जहाँ माँ हर वक़्त राह देखती हो, पिता जहाँ ख़...