बस ये रात
कट जाये,
इस रात के ख़्वाबों से
निकल कर
सुबह उठकर
दूर जाना है,
उससे मिलने
उसकी ज़ियारत करने
उसके पास जाना है
बस ये रात
कट जाये,
ये काली स्याही रात
लंबी होगी इतनी
मालूम न था पहले,
अब आँखें मूँद ही लेता हूँ
एक सपना
अपनी मर्ज़ी का
चुन ही लेता हूँ
जिसमें सिर्फ़ सुबह हो
और उस सुहानी सुबह में
वो मेरे साथ हो
एक नयी-सी बात हो,
बस ये रात
कट जाये ।।
~~~~नीरज माही
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