फिर वहीं शाम
तुम्हारे बिना
वहीं पेड़
वहीं छाँव
तुम्हारे बिना
वो पार्क
वहीं हवा
वो एकांत
वो ख़ालीपन
वो सड़कें
वो आसमान
तुम्हारे बिना
वो क़दमताल
मेरा हाथ
मेरी नज़रें
मेरे नज़ारें
तुम्हारे बिना
वो चाँद
वो तारें
वो बादल
वो बरसात
फिर वहीं शाम
तुम्हारे बिना ।।
——— नीरज माही
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