उसकी आँखों में
आंसू
समाज की देन है ,
इच्छाओ का महल
न बन पाना
उसमे सजाये ख़्वाबो
का न सज पाना
इन सब का ज़िम्मेदार
समाज ही तो है ,
वो समाज जो
खुद तो न कर सका प्रेम
न दे सका प्रेम
न ले सका प्रेम
मगर
दुसरो की इच्छाओ को
पूरा होते देख
वह चैन की साँस भी तो
नहीं ले सका ,
खुशियों को म्रतप्राय करना
समाज की ही तो देन है |
नीरज 'थिंकर'
समाज की देन है ,
इच्छाओ का महल
न बन पाना
उसमे सजाये ख़्वाबो
का न सज पाना
इन सब का ज़िम्मेदार
समाज ही तो है ,
वो समाज जो
खुद तो न कर सका प्रेम
न दे सका प्रेम
न ले सका प्रेम
मगर
दुसरो की इच्छाओ को
पूरा होते देख
वह चैन की साँस भी तो
नहीं ले सका ,
खुशियों को म्रतप्राय करना
समाज की ही तो देन है |
नीरज 'थिंकर'
No comments:
Post a Comment