इक्कीस दिनों का
यें लॉकडाउन
तुम्हारे बिन
मुश्किल है,
पर जीवन में
हमेशा साथ होने
के लिए
यें दूरी
जरूरी भी तो है,
मालूम है कि
सब कुछ ठीक
हो जायेगा
पर
एक भय गहरा-सा
सब कुछ ठहरा-सा
स्मृतियां लाता है
पुरानी
बीती जो संग तुम्हारे
वो रातें याद आती है
जो काली थी
मगर उजली-सी
लगती थी
आने वाली रातें
कैसी होगी ?
सोचकर मन
भयभीत हुए जाता है ..
लेकिन
धुंधली-सी तुम्हारी
वो मुस्कान
सब कुछ भुला दिए
जाती है
और
फिर से तुमसे मिलने
की चाह
मन में उमंग भरे
जाती है !!!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
यें लॉकडाउन
तुम्हारे बिन
मुश्किल है,
पर जीवन में
हमेशा साथ होने
के लिए
यें दूरी
जरूरी भी तो है,
मालूम है कि
सब कुछ ठीक
हो जायेगा
पर
एक भय गहरा-सा
सब कुछ ठहरा-सा
स्मृतियां लाता है
पुरानी
बीती जो संग तुम्हारे
वो रातें याद आती है
जो काली थी
मगर उजली-सी
लगती थी
आने वाली रातें
कैसी होगी ?
सोचकर मन
भयभीत हुए जाता है ..
लेकिन
धुंधली-सी तुम्हारी
वो मुस्कान
सब कुछ भुला दिए
जाती है
और
फिर से तुमसे मिलने
की चाह
मन में उमंग भरे
जाती है !!!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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