Friday 27 March 2020

नीला है जग सारा

नीला है आसमां 
नीली है यें दीवारे 
घर की मेरे,
नीले है आसमां से 
लिपटे यें तारे 
नीली है यें नजरें 
देखती है जो इन्हें,
नीली है यें जमीं 
इस पर चलने 
वाला हर 
शख्स है नीला,
सातों समुन्द्र है नीले
नीला है वो जहाज 
जो 
चलता है अंदर इसके,
नीले है ये बादल 
नीली है बूंदे
बरसती है जो इनसे,
 नीला है वो झंडा 
जिस पर लिखा है 
नारा जय भीम का,
बाबा साहब का कोट
नीला 
नीला है कलम कांशीराम का 
सावित्रीबाई की साड़ी नीली
नीली है किताब संविधान की,
नीला है खेत 
हल जोतने वाला
किसान भी नीला 
धान नीला 
इसे खाने वाला
इंसान नीला,
नीली है मेरी हर ख्वाहिसे 
नीली है मेरी सारी चाहते ....- 3

द्वारा - नीरज  'थिंकर'



Wednesday 25 March 2020

लॉकडाउन और तुम

इक्कीस दिनों का
यें लॉकडाउन 
तुम्हारे बिन 
मुश्किल है,
पर जीवन में 
हमेशा साथ होने 
के लिए 
यें दूरी
जरूरी भी तो है,
मालूम है कि
सब कुछ ठीक 
हो जायेगा
पर 
एक भय गहरा-सा 
सब कुछ ठहरा-सा 
स्मृतियां लाता है 
पुरानी 
बीती जो संग तुम्हारे
वो रातें याद आती है 
जो काली थी 
मगर उजली-सी 
लगती थी
आने वाली रातें 
कैसी होगी ?
सोचकर मन 
भयभीत हुए जाता है ..
लेकिन 
धुंधली-सी तुम्हारी 
वो मुस्कान 
सब कुछ भुला दिए 
जाती है 
और
फिर से तुमसे मिलने 
की चाह 
मन में उमंग भरे 
जाती है !!!

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

Wednesday 18 March 2020

साइकिल और तुम

जब मैं पैदल 
चल कर स्कूल 
जाती हूँ ...
और तुम साइकिल 
चला कर 
धीरे-धीरे रोज 
मेरे पीछे 
आते हो...
अच्छा लगता है 
तुम्हारा बिना कुछ 
कहें ही 
सब कुछ कह जाना,
घर लौटते वक़्त 
तुम मुझे साइकिल पर 
बैठने को कहते हो 
और 
मैं हर बार मना 
कर देती हूँ 
तब तुम 
साइकिल से उतर कर 
साथ मेरे जो चलते हो 
साइकिल पर 
न बैठने पर भी 
बैठने का एहसास
होता है...
साइकिल जब कभी भी 
कहीं भी देखती हूँ 
तो 
सिर्फ तुम याद आते हो...
साइकिल को थामे 
धीमे से मुस्काते 
सिर्फ़ तुम याद आते तो ..!!

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

रेलवे स्टेशन और तुम

रेलवे स्टेशन पर 
जब मैं 
अनजान-सी आकर 
बैठ जाती हूँ ..
और फिर 
तुम भी किसी 
यात्री की भांति 
आकर बगल में 
जब बैठते हो ...
और 
सिर झुकाकर 
अनजान बनकर 
बात करते हो ..
मैं भी सहमी-सी 
सिर हिलाकर 
हर बात का 
जवाब देती हूँ..
मालूम है कि 
एक शहर में 
रहते हुए 
एक दुसरे को 
जानते हुए भी,
अनजान बनकर 
प्यार करना 
कठिन होता है 
मगर एक सुकून भी 
देता है ||

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

तिल - तेरी आँख के किनारे का

तेरी आँख के 
किनारें पर जो 
एक तिल है 
छोटा-सा 
उसकी याद 
कभी-कभी 
अनायास ही 
आ जाती है मुझें,
सोते हुए 
सपने बुनते हुए 
यें तिल पंख लगा 
कर उड़ता है 
संग मेरे,
यें तिल मुस्कुराता-सा 
दिल बाग़-बाग़ करता है 
एक मनोरम संसार भी 
रचता है,
यें तिल मुझें 
तेरा साथ होने का 
एहसास दिलाता है ,
हाँ, तेरा यें तिल 
मुझे बहुत सुहाता है ||

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

घर की याद किसको नहीं आती है !

घर की याद किसको नहीं आती है, चाहे घर घास-फुस का हो या फ़िर महलनुमा हो घर की याद किसको नहीं आती है, जहाँ माँ हर वक़्त राह देखती हो, पिता जहाँ ख़...