क्या भावनाएँ
मर जाती है ?
कुछ वक़्त बीतने पर
फिर भी इंसान ज़िंदा रहता है,
क्या शरीर
चल सकता है ?
बिना धड़कनो के,
क्या कोई रो सकता है ?
बिना आँखों से
आँसू बहाए,
क्या कोई बेज़ुबान
हो सकता है ?
बहुत बोलने पर भी,
क्या भीड़ में भी कोई ?
अकेला महसूस
कर सकता है,
क्या साँसों को
रोक कर
कोई साँस ले सकता है ?
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
मर जाती है ?
कुछ वक़्त बीतने पर
फिर भी इंसान ज़िंदा रहता है,
क्या शरीर
चल सकता है ?
बिना धड़कनो के,
क्या कोई रो सकता है ?
बिना आँखों से
आँसू बहाए,
क्या कोई बेज़ुबान
हो सकता है ?
बहुत बोलने पर भी,
क्या भीड़ में भी कोई ?
अकेला महसूस
कर सकता है,
क्या साँसों को
रोक कर
कोई साँस ले सकता है ?
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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