अन्तर्मन से निकले शब्दों का सयोंग ही कविता का रूप है |
Thursday 25 March 2021
स्याही
जब स्याही क़लम से निकलकर शब्दों का रूप लेकर काग़ज़ पर बिखरतीं है तब वह सिर्फ़ स्याही नहीं रह जाती है वह बन जाती है कहानी, कविता या फिर कोई प्रेम गीत जिसमें जन्म लेती है संवेदनाएँ,ख़ुशियाँ तो कुछ तृष्णाएँ जो किसी में रुदन तो किसी में हास्य पैदा करती है !!
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