न जाने कहाँ से
ये यात्रा ,
कहाँ ख़त्म होगी
यह भी नहीं पता ,
इन यात्राओं के बीच
न जाने कितने
क़िस्से हुए
कितने याद रहे?
यह भी नहीं पता ,
इन यात्राओं के बीच
न जाने कितने
क़िस्से हुए
कितने याद रहे?
और
कितने धूमिल हुए?
रिश्ते जो बने अनजानों से
कितने टिके रहे
कितने पीछे छूट गये
यह भी तो नहीं मालूम,
रिश्ते जो बने अनजानों से
कितने टिके रहे
कितने पीछे छूट गये
यह भी तो नहीं मालूम,
इस यात्रा में
कुछ यादगार अनुभव हुए
तो
कुछ भूल जाने लायक,
कुछ घटनाएँ जहन में
जम गयी
तो
कुछ हवा- सी उड़ गयी,
ये यात्रा कहाँ तक ले जाएगी ?
या
साथ मेरा छोड़
या
साथ मेरा छोड़
कहीं, दूर निकल जाएगी?
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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