अन्तर्मन से निकले शब्दों का सयोंग ही कविता का रूप है |
Thursday 25 March 2021
कौन जाने ?
कौन जाने
किसी सीने में कितने अंगारे है ! हँसी में जिसके रुदन नज़र आये आँखें जिसकी हँसती-सी रो जाये चाल जब पल-पल बदलने लगे, शनेः शनेः सब कुछ से जब बदलता जाए, कौन जानें किसी सीने में कितने अंगारे है !
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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