Thursday 25 March 2021

अनजानी यात्रा

न जाने कहाँ से
शुरू हुयी 
ये यात्रा ,
कहाँ ख़त्म होगी
यह भी नहीं पता ,
इन यात्राओं के बीच
न जाने कितने
क़िस्से हुए
कितने याद रहे?
और                                         
कितने धूमिल हुए?
रिश्ते जो बने अनजानों से
कितने टिके रहे
कितने पीछे छूट गये
यह भी तो नहीं मालूम,
इस यात्रा में 
कुछ यादगार अनुभव हुए 
तो 
कुछ भूल जाने लायक,
कुछ घटनाएँ जहन में 
जम गयी 
तो 
कुछ हवा- सी उड़ गयी,
ये यात्रा कहाँ तक ले जाएगी ?
या
साथ मेरा छोड़
कहीं, दूर निकल जाएगी?


द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

कौन जाने ?

कौन जाने
किसी सीने में
कितने अंगारे है !
हँसी में जिसके
रुदन नज़र आये
आँखें जिसकी
हँसती-सी रो जाये
चाल जब पल-पल
बदलने लगे,
शनेः शनेः सब कुछ
से जब
बदलता जाए,
कौन जानें
किसी सीने में
कितने अंगारे है !

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

दोस्तों का प्यार

दोस्ती में
यूँ दोस्तों का प्यार
ज़ाहिर करना ,
ज़बरदस्ती एक दूजे
पर हक़ जताना,
ना-ना करने पर
भी हाँ करवाना ,
बिना छिने कोई
चीज़ न खाना,
हमेशा ख़ुराफ़ाती
दिमाग़ से
तरह-तरह की हरकतों
को अंजाम देना
कभी-कभी बुरा
तो लगता है..
पर
वक़्त बीतने पर
एक मीठा-सा एहसास
भी तो देता है..
उन सच्चे दोस्तों ने
भले ही परेशान
बहुत किया हो
पर
धोखा कभी नहीं दिया !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

स्याही

जब स्याही
क़लम से निकलकर
शब्दों का रूप
लेकर
काग़ज़ पर बिखरतीं है
तब वह सिर्फ़
स्याही नहीं रह जाती है
वह बन जाती है
कहानी, कविता
या फिर
कोई प्रेम गीत
जिसमें जन्म लेती है
संवेदनाएँ,ख़ुशियाँ
तो कुछ तृष्णाएँ
जो किसी में रुदन
तो किसी में हास्य
पैदा करती है !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

भावनाएं

क्या भावनाएँ
मर जाती है ?
कुछ वक़्त बीतने पर
फिर भी इंसान ज़िंदा रहता है,
क्या शरीर
चल सकता है ?
बिना धड़कनो के,
क्या कोई रो सकता है ?
बिना आँखों से
आँसू बहाए,
क्या कोई बेज़ुबान
हो सकता है ?
बहुत बोलने पर भी,
क्या भीड़ में भी कोई ?
अकेला महसूस
कर सकता है,
क्या साँसों को
रोक कर
कोई साँस ले सकता है ?

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

घर की याद किसको नहीं आती है !

घर की याद किसको नहीं आती है, चाहे घर घास-फुस का हो या फ़िर महलनुमा हो घर की याद किसको नहीं आती है, जहाँ माँ हर वक़्त राह देखती हो, पिता जहाँ ख़...