Wednesday 1 April 2020

तुम मेरे लिए काफ़ी हो

तुम्हारा मेरे पास    
बैठकर 
मुझे निहारना 
समुन्द्र की 
लहरों में 
मेरा हाथ थाम कर 
चलना 
मेरे लिए काफ़ी है,
पथरीली राहों में 
नीले गगन के नीचे 
सुनसान सड़क पर 
तुम्हारा साथ होना 
काफ़ी है,
हर मुश्किल घड़ी में 
तुम्हारा हल्का-सा 
मुस्कुरा जाना 
मेरे लिए काफ़ी है,
तुम कहीं भी रहो 
पर 
पास होने का एक 
एहसास तुम्हारा 
मेरे लिए काफ़ी है,
तुम्हारा बेझिझक होकर 
मुझसे बाते करना 
और 
बातों ही बातोँ में 
मुझे गले लगाना 
मेरे लिए काफ़ी है,
तुम्हारा चेहरा 
हर परेशानी जो 
मेरी हर लेता है
और 
मेरे ग़मों को 
खुशियों में जो 
बदल देता है 
मेरे लिए काफ़ी है,
ज़माना हो भले ही 
ख़िलाफ़ मेरे 
तो होने दो
सब कुछ लुट जाए 
मेरा मुझसे तो 
लुट जाने दो 
तुम साथ हो 
मेरे लिए
इतना ही काफ़ी है -2

द्वारा- नीरज 'थिंकर' 

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