सर्द रातों में
खुलें आसमॉ के नीचे
तारों को गिनते हुए
उसकी उस बेशक़ीमती
मुस्कान को
याद करते हुए,
एक रात की चाह में
जिसमें बग़ल में बैठ
उसके,
ज़ुल्फ़ों से झाँकती हँसी
को थामें
सब कुछ क़ुर्बान करने
को तैयार
सिर्फ़ उस सुनहरे पल
के लिए
मैं उसकी अप्रितम याद में
उसके आग़ोश में खोने को
टकटकी लगायें
उसकी सोच में डूबा-सा
अनगिनत ख़यालों में
खोया हुआ हूँ !!
द्वारा -नीरज 'थिंकर'
खुलें आसमॉ के नीचे
तारों को गिनते हुए
उसकी उस बेशक़ीमती
मुस्कान को
याद करते हुए,
एक रात की चाह में
जिसमें बग़ल में बैठ
उसके,
ज़ुल्फ़ों से झाँकती हँसी
को थामें
सब कुछ क़ुर्बान करने
को तैयार
सिर्फ़ उस सुनहरे पल
के लिए
मैं उसकी अप्रितम याद में
उसके आग़ोश में खोने को
टकटकी लगायें
उसकी सोच में डूबा-सा
अनगिनत ख़यालों में
खोया हुआ हूँ !!
द्वारा -नीरज 'थिंकर'
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