Saturday, 20 July 2024

नींद और नज़ारे

नींद आधी थी
आँखें भी
थोड़ी खुली थी
थोड़ी बंद थी
नज़ारे भी थोड़े
जगे थे
थोड़े सोये हुए थे
सोये हुए नज़ारे
अधिक मनोरम और विशाल
पर काल्पनिक थे
जगे हुए नज़ारे
कम आकर्षक और भयानक
पर वास्तविक थे ||

द्वारा- नीरज 'थिंकर'

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