अन्तर्मन से निकले शब्दों का सयोंग ही कविता का रूप है |
अभी कितना ही तो
दिल टूटा है !
अभी तो और
मोहब्बत बाक़ी है
कितनों को प्यार
बाँटना है
और कई दफ़ा
दिल टूटना बाक़ी है !!
-----नीरज माही
दादा जी आपके जाने के ठीक एक महीने बाद मैं लिख रहा हूँ पत्र आपके नाम , मैं पहले...
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