Saturday, 20 July 2024

दादा जी

दादा जी 

आपके जाने के 

ठीक एक महीने बाद 

मैं लिख रहा हूँ पत्र 

आपके नाम,

मैं पहले भी था अकेला 

दादा जी आपके बिना यहाँ

मगर 

अब मैं हो गया हूँ अकेला 

आपके बिना हर जहां,

बहुत-सी बातें 

जो मैं 

कह सका आपको 

वह कह रहा हूँ आज,

मैं बिठाना चाहता था 

आपको 

हवाई जहाज़ के अंदर

और 

दिखाना चाहता था 

कैसे दिखते है ऊपर से 

ख़ैत-खलिहान और घर,

कितना कुछ था

जो आपको बताना था

मेरे पीएचडी रिसर्च का निष्कर्ष

और 

फिर मेरी पीएचडी डिग्री

के साथ 

एक सेल्फ़ी भी तो लेनी थी 

आपके साथ,

आपके वो तमाम सवाल

जिनके जवाब मुझे मालूम थे 

हाल ही में मैंने 

ढूँढ निकाले थे उन्हें

मगर जब आपकों 

जवाब सुनाने की बारी आयी 

तो 

आप उन्हें सुने बिना ही चले गये,

इस बार आप देख नहीं 

पाये मुझे घर से जाते हुए 

रोते-रोते जल्दी आने का 

कहते हुए,

आपको मालूम है 

मैंने कभी भी आपको 

जाते हुए नहीं देखा

कुछ लोग कहते है 

जानाहिन्दी व्याकरण की 

सबसे कठिन क्रिया है 

मगर 

मैं कहता हूँजानाकिसी भी 

लिखित-अलिखित भाषा की 

सबसे पीड़ादायी क्रिया

और परीक्षा है !!



--- नीरज माही 

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