Saturday, 20 July 2024

थका हुआ मैं

थक गया हूँ
अब मैं 
थोड़ा 
रुकना चाहता हूँ,
बहुत रो लिया 
अब मैं 
आंसुओं को अपने 
पोंछना चाहता हूँ,
बची नहीं हिम्मत 
कि
और मैं लड़ सकूँ 
और लगा सकूँ गुहार 
किसी से
अपने प्यार के लिए,
अब मैं 
अपने एक तरफ़ा प्यार को 
हमेशा के लिए 
बचाये रखना चाहता हूँ,
जितना टूटकर बचा है दिल 
उतना ही सही 
उसकी यादों को उसमें 
संजोकर 
मैं अब 
रुकना चाहता हूँ,
ताक़त नहीं है कि
थोड़ा भी बढ़ सकूँ 
मैं अब आगे 
टूटे दिल को गले
लगाकर 
मैं बस थोड़ा सोना चाहता हूँ  


---नीरज माही 


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