Thursday, 25 July 2024
Saturday, 20 July 2024
दिन का पहला ख़्याल हो तुम
दिन का पहला ख़्याल
हो तुम
सूरज की पहली किरण
हो तुम
सुबह खिलें हुए फूलों की वो
लाजवाब ख़ुशबू हो तुम
आसमान में बनती हुई
बेशक़ीमती तस्वीर हो तुम
सावन की पहली याद हो तुम
बारिश के बाद नहायी प्राकृतिक
सुंदरता की पराकाष्ठा हो तुम
बारिश और धूप के बीच
बनने वाला इंद्रधनुष हो तुम
और
रात की आखरी याद भी
हो तुम
सपनों में सँभलती बिखरती
हर वो साँस हो तुम
तुम हो तो मैं हूँ
तुम हो तो प्रेम का सार है
तुम हो तो जीना गुलज़ार है
तुम हो तो हर तमन्ना
हक़ीक़त बनने को बेक़रार है
तुम ही मेरा वज़ूद हो
तुम ही मेरा घर
तुम ही मेरी छत हो
तुम ही मेरी भूख
तुम ही मेरी प्यास हो
तुम हो तो सब कुछ
मेरे पास
तुम नहीं तो कुछ भी
पाने की नहीं है आस !!
----नीरज माही
एक ही तो जीवन था
एक ही तो जीवन था
सिर्फ तेरे साथ जीने की
एक ही तो तमन्ना थी,
तेरा हाथ थामे बस
चलते ही चले जाना था,
ज़्यादा कुछ न माँगा था
सिर्फ तेरा साथ चाहा था,
दुनिया की तमाम खुशियाँ,
तेरे बिना अधूरी सी थी।
तेरा साथ मेरे जीवन की
हर ख़ुशी की चाबी थी,
तेरे बिना ये जीवन
जैसे सूनी रात की बंसी थी।
दुनिया के हर रंग में
तेरे साथ रंगना चाहता था,
हर पल तेरी हँसी में,
अपनी खुशी पाना चाहता था।
मेरी ख़्वाहिशें छोटी थीं
पर दिल में मेरे
ठाठ से बसी थीं,
सपने मेरे सादे थे
अधूरे तेरे बिना
तेरे से ही पूरे थे ।
एक ही तो जीवन मिला था
और अब वो भी तेरे बिना,
कैसे जीऊँ इस जीवन को,
मरणासन्न-सा है ये प्रिय तेरे बिना।
तेरे बिना ये जीवन,
सपनों का टूटना है,
हर ख़ुशी की तलाश में
तेरे बिना बस भटकना है।
काश तेरा साथ पाता
हर लम्हा तुझसे सजाता,
तेरे बिना ये जीवन
बस अधूरा यहीं थम जाता।
तू थी मेरी मंज़िल
तू ही मेरा रास्ता थी,
तेरे बिना ये सफ़र
जैसे बिन नक्शे की राह थी।
अब भी तेरी यादों में
हर पल मैं जीता हूँ,
तेरे बिना इस जीवन को,
कैसे मैं समझाऊँ?
तू ही थी मेरी धड़कन
तू ही मेरी साँसें थी,
तेरे बिना ये जीवन,
बस एक अधूरी कहानी सी थी।
एक ही तो जीवन था,
सिर्फ तेरे साथ जीना था
अब तुझ बिन ये जीवन
सिर्फ एक सपना अधूरा सा ।
----नीरज माही
Subscribe to:
Posts (Atom)
एक पत्र दादा जी के नाम
दादा जी आपके जाने के ठीक एक महीने बाद मैं लिख रहा हूँ पत्र आपके नाम , मैं पहले...
-
सर्द रातों में खुलें आसमॉ के नीचे तारों को गिनते हुए उसकी उस बेशक़ीमती मुस्कान को याद करते हुए, एक रात की चाह में जिसमें बग़ल में बैठ उसके,...