Sunday 16 January 2022

अपने घर जाना

 कितना सुकून भरा होता

होगा ना घर जाना

घर जाते हुए

तमाम लोगों को देखना

बीच में पड़ने वाले शहर

एवं गाँवों से गुजरना ,

खेत-खलिहानों में चरती हुयी

गाय-भैसों एवं पेड़ कि छाँव में

बैठकर खाना खाते हुए

लोगों को निहारना,

हर बस स्टैंड पर खाने-पीने 

के सामान बेचते हुए

लोगों को गला फाड़ कर

चिल्लाते हुए सुनना,

बस में सहयात्रियों के

किस्से सुनना,

किसी को फ़ोन पर

जोर-जोर से अपने घर- परिवार

कि बातें करते हुए सुनना और

सुनते हुए अपने परिवार को

याद करना,

कितना सुकून देता होगा ना

घर जाना!

मगर कितने लोग घर जा पाते

होंगे?

और

कितने लोग सपना देखते

होंगे घर जाने का?


द्वारा - नीरज 'थिंकर'

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