Sunday 16 January 2022

मैं अकेला हूँ

 इतने बड़े संसार में

सब कोई है जहाँ शुभचिंतक

मालूम नहीं क्यों फ़िर भी

मैं हूँ अकेला,

चारों तरफ भागदौड़ है

थमते नहीं है लोग

वहीं मैं रुका हुआ

अकेला क्यों हूँ,

सबकों कुछ न कुछ पाने

और बनाने कि चिंता है

मैं चिंतित हूँ कि

मैं अकेला क्यों हूँ,

माँ है, पिताजी है,

दादी जी है, दादाजी है

बहनें है उनके बच्चे है

भुआ है फूफा जी है

उनके बच्चे है और

उनके भी बच्चे है

सब है..

मगर मैं अकेला हूँ

यहाँ दूर, बहुत दूर जहाँ

सिर्फ़ मैं हूँ...सिर्फ़ मैं हूँ!!


नीरज 'थिंकर'

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