आज भी मैंने यादों के
गुलदस्ते में
संभाल रखा है तुझे
तेरी जुल्फों को उसमें आज
भी संवार रखा है मैंने,
तेरी महकती खुश्बू
और
मनभावक हँसी को
सझा रखा है मैंने
आज भी उसमें,
तेरी बातों को कुछ जो
तूने कहीं थी और कुछ
जो तू कहने वाली थी
सब सहज़ रखा है मैंने
अपने पास उस गुलदस्ते में
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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