मेरे आंतरिक मनोभावों का
सार ही तो है कविता,
कविता, मेरी सांसो का
चलना है ,
कविता में पिरोये गये शब्द
मेरी आत्मा की
आवाज ही तो है ,
ये शब्द मात्र
कविता बनाने के
लिए ही तो नहीं है,
इन शब्दों में
छुपी होती है
तमाम संवेदनाए ,
अनेक प्रकार की खुशियाँ
और तमन्नाए ,
कविता मेरे
जीवित होने का
प्रमाण ही तो है,
अनगिनित बाते जो
कही जा सकती है
कविता से,
क्या भला ?
कही जा सकती है सबसे,
अनकही बातो की
जुबां ही तो है कविता,
कविता मुझे
मरने नहीं देती है,
कविता ही तो है जो
मुझे जिन्दा रखती है |
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
सार ही तो है कविता,
चलना है ,
कविता में पिरोये गये शब्द
मेरी आत्मा की
आवाज ही तो है ,
ये शब्द मात्र
कविता बनाने के
लिए ही तो नहीं है,
इन शब्दों में
छुपी होती है
तमाम संवेदनाए ,
अनेक प्रकार की खुशियाँ
और तमन्नाए ,
कविता मेरे
जीवित होने का
प्रमाण ही तो है,
अनगिनित बाते जो
कही जा सकती है
कविता से,
क्या भला ?
कही जा सकती है सबसे,
अनकही बातो की
जुबां ही तो है कविता,
कविता मुझे
मरने नहीं देती है,
कविता ही तो है जो
मुझे जिन्दा रखती है |
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
No comments:
Post a Comment