Wednesday 29 November 2017

कविता - मेरी कविता

मेरे आंतरिक मनोभावों का 
सार ही तो है कविता,
कविता, मेरी सांसो का 
चलना है ,
कविता में पिरोये गये शब्द 
मेरी आत्मा की 
आवाज ही तो है ,
ये शब्द मात्र 
कविता बनाने के 
लिए ही तो नहीं है,
इन शब्दों में
छुपी होती है 
तमाम संवेदनाए ,
अनेक प्रकार की खुशियाँ 
और  तमन्नाए ,
कविता मेरे 
जीवित होने का 
प्रमाण ही तो है,
अनगिनित बाते जो 
कही जा सकती है 
कविता से, 
क्या भला ?
कही जा सकती है सबसे,
अनकही बातो की 
जुबां ही तो है कविता,
कविता मुझे 
मरने नहीं देती है,
कविता ही तो है जो 
मुझे जिन्दा रखती है |

द्वारा - नीरज 'थिंकर'

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