ज्यादा कुछ नहीं
कुछ वक़्त
पास बैठो मेरे ,
मुझको अपनी
खुश्बू में खोने दो ,
बातें जो तुम्हारी
मीठी और रसीली है
कुछ वक़्त
उनको पीने दो ,
ज्यादा कुछ नहीं
कुछ वक़्त
अपने नयनों से
यूँ ही मुझे तकते रहो ,
हाथो से अपने
मुझको छूकर
ज्यादा कुछ नहीं
बस
कुछ वक़्त के लिए
एक नूतन-सा एहसास
मुझमे भरती रहो |
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
कुछ वक़्त
पास बैठो मेरे ,
मुझको अपनी
खुश्बू में खोने दो ,
बातें जो तुम्हारी
मीठी और रसीली है
कुछ वक़्त
उनको पीने दो ,
ज्यादा कुछ नहीं
कुछ वक़्त
अपने नयनों से
यूँ ही मुझे तकते रहो ,
हाथो से अपने
मुझको छूकर
ज्यादा कुछ नहीं
बस
कुछ वक़्त के लिए
एक नूतन-सा एहसास
मुझमे भरती रहो |
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
Nice
ReplyDeleteNice one bro..
ReplyDeleteKeep writing
:)
Osm poem neeraj ...
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