Saturday 20 July 2024

तू और मह्फ़िल

सुन तेरी आवाज
महफ़िल सजने लगी थी
बिखरी भीड़ जुटने लगी थी
चारों तरफ बस एक ही पुकार थी
कहाँ है वो ?
जब तू दिखी तो
महफ़िल शुरू हुयी थी
चारों तरफ एक नशा-सा
छाने लगा था,
जब तू थिरकी तो
नशे से सराबोर भीड़
झुमने लगी थी
तेरा अंदाज ही कुछ
ऐसा था
न चाहते हुए भी
तुझ पर लोग
प्यार बरसाने लगे थे ||

द्वारा- नीरज 'थिंकर'

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