तू याद जब भी आती है -२
आँखे मदहोश-सी हो जाती है
तेरे साथ बीते पलों को याद करके
एक समां-सा बंधता जाता है
एक बार फिर मिल
अतीत बिताने की इच्छा होती है
तू याद जब भी आती है
अधूरी ख्वाहिशों का बोझा
सिर पर बोझ बढाता जाता है
तू याद जब भी आती है तो
होठों पे चुम्बन की रसधारा
फिर से बह चली जाती है
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
आँखे मदहोश-सी हो जाती है
तेरे साथ बीते पलों को याद करके
एक समां-सा बंधता जाता है
एक बार फिर मिल
अतीत बिताने की इच्छा होती है
तू याद जब भी आती है
अधूरी ख्वाहिशों का बोझा
सिर पर बोझ बढाता जाता है
तू याद जब भी आती है तो
होठों पे चुम्बन की रसधारा
फिर से बह चली जाती है
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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