अन्तर्मन से निकले शब्दों का सयोंग ही कविता का रूप है |
क्या कहूँ मैं ? वो बात जो मैं कह न सका , वो बात जो वो भूल गयी , वो रात जो बीत गयी , वो नींद जो खुल...
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