अन्तर्मन से निकले शब्दों का सयोंग ही कविता का रूप है |
अभी कितना ही तो
दिल टूटा है !
अभी तो और
मोहब्बत बाक़ी है
कितनों को प्यार
बाँटना है
और कई दफ़ा
दिल टूटना बाक़ी है !!
-----नीरज माही
क्या कहूँ मैं ? वो बात जो मैं कह न सका , वो बात जो वो भूल गयी , वो रात जो बीत गयी , वो नींद जो खुल...
No comments:
Post a Comment