Saturday 20 July 2024

दिन का पहला ख़्याल हो तुम

 
दिन का पहला ख़्याल 
हो तुम 
सूरज की पहली किरण 
हो तुम 
सुबह खिलें हुए फूलों की वो
लाजवाब ख़ुशबू हो तुम
आसमान में बनती हुई
बेशक़ीमती तस्वीर हो तुम
सावन की पहली याद हो तुम 
बारिश के बाद नहायी प्राकृतिक 
सुंदरता की पराकाष्ठा हो तुम 
बारिश और धूप के बीच 
बनने वाला इंद्रधनुष हो तुम 
 और 
रात की आखरी याद भी 
हो तुम 
सपनों में सँभलती बिखरती
हर वो साँस हो तुम 
तुम हो तो मैं हूँ
तुम हो तो प्रेम का सार है 
तुम हो तो जीना गुलज़ार है 
तुम हो तो हर तमन्ना
हक़ीक़त बनने को बेक़रार है 
तुम ही मेरा वज़ूद हो 
तुम ही मेरा घर 
तुम ही मेरी छत हो 
तुम ही मेरी भूख 
तुम ही मेरी प्यास हो 
तुम हो तो सब कुछ 
मेरे पास 
तुम नहीं तो कुछ भी 
पाने की नहीं है आस !!


----नीरज माही


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