दिन का पहला ख़्याल
हो तुम
सूरज की पहली किरण
हो तुम
सुबह खिलें हुए फूलों की वो
लाजवाब ख़ुशबू हो तुम
आसमान में बनती हुई
बेशक़ीमती तस्वीर हो तुम
सावन की पहली याद हो तुम
बारिश के बाद नहायी प्राकृतिक
सुंदरता की पराकाष्ठा हो तुम
बारिश और धूप के बीच
बनने वाला इंद्रधनुष हो तुम
और
रात की आखरी याद भी
हो तुम
सपनों में सँभलती बिखरती
हर वो साँस हो तुम
तुम हो तो मैं हूँ
तुम हो तो प्रेम का सार है
तुम हो तो जीना गुलज़ार है
तुम हो तो हर तमन्ना
हक़ीक़त बनने को बेक़रार है
तुम ही मेरा वज़ूद हो
तुम ही मेरा घर
तुम ही मेरी छत हो
तुम ही मेरी भूख
तुम ही मेरी प्यास हो
तुम हो तो सब कुछ
मेरे पास
तुम नहीं तो कुछ भी
पाने की नहीं है आस !!
----नीरज माही
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