Thursday 25 July 2024

फ़क़त तुम हो

फ़क़त तुम हो माही
मेरे आगे
मेरे पीछे 
मेरे सपनों 
मेरे जज़्बातों में 
फ़क़त तुम हो माही, 
मेरे क़िस्से, कहानियों में 
मेरी निद्रापूरित आँखों में
मेरे कमरे के ख़ालीपन में
मेरे दिल के एकांत में 
मेरी खिड़कीं से दिखते 
नज़ारों में 
मेरी हर नज़र में 
फ़क़त तुम हो माही, 
मेरी आँख की कोर से 
निकले आंसू में 
ज़ुबाँ पर आये 
हर लफ़्ज़ में 
मेरे हर हरूफ में 
फ़क़त तुम हो माही, 
पंछियों की उड़ान में 
नदी की धार में 
पेड़ों की छाँव में 
रेगिस्तान की रेत में 
बर्फीले पर्वत-पहाड़ों में 
सर्द-ठिठुरती रातों में 
फ़क़त तुम हो माही,
बसंत में खिले 
फूलों की महक में
चिड़ियों की चहक में
बीते पलों में 
मौजूदा हाल में
आने वाले कल में
तुम ही तुम हो 
फ़कत तुम हो माही !!




 ----नीरज माही

Saturday 20 July 2024

दिन का पहला ख़्याल हो तुम

 
दिन का पहला ख़्याल 
हो तुम 
सूरज की पहली किरण 
हो तुम 
सुबह खिलें हुए फूलों की वो
लाजवाब ख़ुशबू हो तुम
आसमान में बनती हुई
बेशक़ीमती तस्वीर हो तुम
सावन की पहली याद हो तुम 
बारिश के बाद नहायी प्राकृतिक 
सुंदरता की पराकाष्ठा हो तुम 
बारिश और धूप के बीच 
बनने वाला इंद्रधनुष हो तुम 
 और 
रात की आखरी याद भी 
हो तुम 
सपनों में सँभलती बिखरती
हर वो साँस हो तुम 
तुम हो तो मैं हूँ
तुम हो तो प्रेम का सार है 
तुम हो तो जीना गुलज़ार है 
तुम हो तो हर तमन्ना
हक़ीक़त बनने को बेक़रार है 
तुम ही मेरा वज़ूद हो 
तुम ही मेरा घर 
तुम ही मेरी छत हो 
तुम ही मेरी भूख 
तुम ही मेरी प्यास हो 
तुम हो तो सब कुछ 
मेरे पास 
तुम नहीं तो कुछ भी 
पाने की नहीं है आस !!


----नीरज माही


एक ही तो जीवन था

एक  ही तो जीवन था
सिर्फ तेरे साथ जीने की
एक ही तो तमन्ना थी,
तेरा हाथ थामे बस 
चलते ही चले जाना था,
ज़्यादा कुछ माँगा था
सिर्फ तेरा साथ चाहा था
दुनिया की तमाम खुशियाँ
तेरे बिना अधूरी सी थी।
तेरा साथ मेरे जीवन की
हर ख़ुशी की चाबी थी
तेरे बिना ये जीवन
जैसे सूनी रात की बंसी थी।
दुनिया के हर रंग में
तेरे साथ रंगना चाहता था
हर पल तेरी हँसी में
अपनी खुशी पाना चाहता था।
मेरी ख़्वाहिशें छोटी थीं
पर दिल में मेरे 
ठाठ से बसी थीं
सपने मेरे सादे थे
अधूरे तेरे बिना 
तेरे से ही पूरे थे
एक ही तो जीवन मिला था
और अब वो भी तेरे बिना
कैसे जीऊँ इस जीवन को
मरणासन्न-सा है ये प्रिय तेरे बिना।
तेरे बिना ये जीवन
सपनों का टूटना है
हर ख़ुशी की तलाश में
तेरे बिना बस भटकना है।
काश तेरा साथ पाता
हर लम्हा तुझसे सजाता
तेरे बिना ये जीवन
बस अधूरा यहीं थम जाता।
तू थी मेरी मंज़िल
तू ही मेरा रास्ता थी
तेरे बिना ये सफ़र
जैसे बिन नक्शे की राह थी।
अब भी तेरी यादों में
हर पल मैं जीता हूँ
तेरे बिना इस जीवन को
कैसे मैं समझाऊँ?
तू ही थी मेरी धड़कन
तू ही मेरी साँसें थी
तेरे बिना ये जीवन
बस एक अधूरी कहानी सी थी।
एक ही तो जीवन था
सिर्फ तेरे साथ जीना था
अब तुझ बिन ये जीवन
सिर्फ एक सपना अधूरा सा


----नीरज माही

क्या कहूँ मैं ?

क्या कहूँ मैं ? वो बात   जो   मैं कह न सका , वो बात   जो   वो भूल गयी , वो रात   जो   बीत गयी , वो नींद   जो   खुल...