Wednesday, 1 April 2020

कोरोना काल में

Pic courtesy - Scroll.in
जब भटक रहा है 
इंसान दर-ब-दर 
तब तुम 
हाथ धोना उसे 
सीखा रहें हो,
है नहीं घर 
पास उसके 
फिर भी 
तुम उसे घर बैठना 
सीखा रहें हो,
वर्षों से झेली है 
'सामाजिक दूरी' 
जिसने, उसे तुम 
'सोशल डिस्टैन्सिंग' 
सीखा रहें हो ,
भूखा है पेट
बिलख़ रहें है बच्चे 
और 
तुम उसे डंडे की 
मार से डरा रहें हो,
अपने ही देश में 
लोग जब बेघर 
हो जाए
महामारी से ज्यादा 
भूख जब उन्हें 
सताने लगे,
तब तुम नाप 
सकते हो 
देश की तररकी 
और 
देख सकते हो 
विकास को करीब से
बहुत करीब से !!



द्वारा - नीरज 'थिंकर'

No comments:

Post a Comment

एक पत्र दादा जी के नाम

दादा जी                                        आपके जाने के   ठीक एक महीने बाद   मैं लिख रहा हूँ पत्र   आपके नाम , मैं पहले...