Thursday, 23 April 2020

कण-कण में तू

कण कण में तुझको ही
ढूँढ रहा हूँ,
हर फ़ूल में तेरी ख़ुश्बू
खोज रहा हूँ,
युवक-युवतियों के
प्रेम से आच्छादित
इस पार्क में
तेरा प्यार
खोज रहा हूँ
तू इसी शहर में
और छोर पर
आ ना दोनो
मिल जाए ज़रा
इस पार्क में
एक एहसास
अपने दोनो के प्रेम का
भर जाए ज़रा  !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

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