Thursday, 23 April 2020

एक ख्वाब ऐसा भी

मेरे चेहरे पर ख़ुशी
तेरे आने से आयी थी ।
तूने ही उसे छीन लिया
सोचा था, अब
ख़ुशियाँ अपार होगी,
ज़िन्दगी गुलज़ार होगी ,
रोज़ नयें क़िस्से बनेंगे,
बैठ दोनो,शीतल ब्यार में
उन्हें सुनेंगे ,
परी लोक में जा धुन
नयी छेड़ेंगे,
एक दूसरे का थाम हाथ
पूरा जग घूमेंगे ,
आँखो में आँखें डाल
एक दूजे को
पूरी रात तकेंगे,
चटपटी बातों को तेरी चूरा
छुपा लूँगा कहीं,
जब नींद उड़ी तो देखा
में गहरीं नींद में था ,
ये सब तो महज़
एक ख़्वाब था  !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

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