Sunday, 19 April 2020

जब भी मैं

जब भी मैं
ख़ुद को
तेरी आँखों में
देखता हूँ
तो
मुझे सब कुछ
उजला ही नज़र आता है,
मेरे चेहरे की मुस्कान
तेरी आँखों की मुस्कान
से
जब मिलती है
तो एक सुखद एहसास
देती है ,
तेरी पलके जब
झुक जाती है आहिस्ता से
तो
सब कुछ समां जाता है
अब इसे तेरी आँखों का
कमाल कहूँ या
मेरी नज़र का !!

द्वारा - नीरज 'थिंकर' 

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