Saturday, 4 April 2020

आँखें

आँखों को ला इतनी पास
कि
डूब सकूँ मैं उनमें, ,
कि
पा सकूँ मैं सुकून
भरा एहसास ,
कि
कर सकूँ मैं उनसे
दो बात
बिखेर सकूँ मैं किस्सों
के हुजूम को ,
कि
ज़ी सकूँ मैं उनमें
जिंदगी के दो पल ,
कि
खो सकूँ में उनमें
अनन्त समय के लिए !!

द्वारा - नीरज  'थिंकर'  

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