Friday 3 April 2020

जूनून

जूनून मिलने का अब
ख़त्म होने लगा है ,
प्यार भरी बातें भी अब
फीकी पड़ने लगी है,
स्वप्न भविष्य के बुनना अब
कम होने लगा है ,
ढूँढ एकांत प्रेमानुराग में
लिप्त होने की लालसा अब
कम होने लगी है ,
यादें उसकी अब
धूमिल पड़ने लगी है ,
ख़ूबसूरती का ख़ुमार भी अब
धीरे-धीरे उतरने लगा है !!

द्वारा- नीरज 'थिंकर' 

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