आओ ना प्रिय,
एक मशवरा करते है
बाँट दुःखों को
एक नया
सवेरा करते है,
भूल बातों को
तमाम
नयी शुरुआत करते है
फिर से खिलखिलाकर
ज़ोरों से
इस जहाँ को
गुलज़ार करते है,
आओ ना प्रिय,
बैठकर अनन्त वक़्त
के लिये
अनकहे क़िस्सों को
पूर्ण करते है !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
एक मशवरा करते है
बाँट दुःखों को
एक नया
सवेरा करते है,
भूल बातों को
तमाम
नयी शुरुआत करते है
फिर से खिलखिलाकर
ज़ोरों से
इस जहाँ को
गुलज़ार करते है,
आओ ना प्रिय,
बैठकर अनन्त वक़्त
के लिये
अनकहे क़िस्सों को
पूर्ण करते है !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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