दिवाली सबके लिए नहीं
होती है,
कुछ लोग आज भी नहीं
मनाते ख़ुशियाँ
फटाखे फोड़कर
हरदिन की तरह
यह दिन भी
उनके लिये आम ही
होता है
क्यूँकि
इस दिन भी उन्हें
भटकना पड़ता है
रोटी के लिए,
दिवाली तो बस
चंद लोगों की है
जो
उड़ाते है पूरे साल की
लूट-खसोट इस दिन !!
द्वारा -नीरज 'थिंकर'
होती है,
कुछ लोग आज भी नहीं
मनाते ख़ुशियाँ
फटाखे फोड़कर
हरदिन की तरह
यह दिन भी
उनके लिये आम ही
होता है
क्यूँकि
इस दिन भी उन्हें
भटकना पड़ता है
रोटी के लिए,
दिवाली तो बस
चंद लोगों की है
जो
उड़ाते है पूरे साल की
लूट-खसोट इस दिन !!
द्वारा -नीरज 'थिंकर'
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