उसने कहा था मुझे
कि
वो धीरे-धीरे सबको
बता देगी.
हमारे प्यार का ऐलान
सबके सामने
कर देगी,
कल ही तो उसने
बताया था मुझे
कि
वो बहुत प्यार करती है
मुझसे,
और हाँ, उसने ये भी
तो कहा था
की
कभी नहीं जायेगी वो
छोड़कर मुझे,
उसने प्यार करने की
जगह भी तो ढूँढ ली थी,
क्या वो जगह अब
काले बादलों से छायीं रहेगी ?
क्या अब वहाँ
कोई नहीं जायेगा ?
उस रात जो की
आज़ादी की रात थी
उसने यह भी तो
कहा था
कि
मेरा उसकी कमर में हाथ डाले
चलना उसे अच्छा लगता है
उसी रात उसने
बेख़ौफ़ बिना डरे
प्यार करने की
आज़ादी की बात भी तो
कही थीं,
उसने न जाने मुझे
कितने सलीक़े सिखाने का
वादा भी तो किया था ,
उसने ये भी तो बताया था
कि
उसका मन नहीं लगता है
पढ़ाई में
जब मैं उसके पास
नहीं होता हूँ तो,
उसका दिन भी नहीं गुज़रता है
देखे बिना मुझे
और
वो भी मुझसे उतना ही
प्यार करती है जितना की
मैं उससे करता हूँ ,
उसने पहली बार हिंदी
में लिखी थी कविता
वो भी मेरे लिये,
क्या कविताएँ बिना भावों के
लिखी जा सकती है भला ?
उसका यूँ कहना
कि
जब मेरा हाथ उसके
हाथ में होता है
तो
उसे स्वर्ग सा एहसास होता है
उसका इन सारी बातों को
यूँ ही नकार ,
सॉरी कह कर चले जाना
और
भावनाओं को बारिश की
बूँदो में मिला
कही खो जाना
म्रतप्राय कर गया मुझे !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
कि
वो धीरे-धीरे सबको
बता देगी.
हमारे प्यार का ऐलान
सबके सामने
कर देगी,
कल ही तो उसने
बताया था मुझे
कि
वो बहुत प्यार करती है
मुझसे,
और हाँ, उसने ये भी
तो कहा था
की
कभी नहीं जायेगी वो
छोड़कर मुझे,
उसने प्यार करने की
जगह भी तो ढूँढ ली थी,
क्या वो जगह अब
काले बादलों से छायीं रहेगी ?
क्या अब वहाँ
कोई नहीं जायेगा ?
उस रात जो की
आज़ादी की रात थी
उसने यह भी तो
कहा था
कि
मेरा उसकी कमर में हाथ डाले
चलना उसे अच्छा लगता है
उसी रात उसने
बेख़ौफ़ बिना डरे
प्यार करने की
आज़ादी की बात भी तो
कही थीं,
उसने न जाने मुझे
कितने सलीक़े सिखाने का
वादा भी तो किया था ,
उसने ये भी तो बताया था
कि
उसका मन नहीं लगता है
पढ़ाई में
जब मैं उसके पास
नहीं होता हूँ तो,
उसका दिन भी नहीं गुज़रता है
देखे बिना मुझे
और
वो भी मुझसे उतना ही
प्यार करती है जितना की
मैं उससे करता हूँ ,
उसने पहली बार हिंदी
में लिखी थी कविता
वो भी मेरे लिये,
क्या कविताएँ बिना भावों के
लिखी जा सकती है भला ?
उसका यूँ कहना
कि
जब मेरा हाथ उसके
हाथ में होता है
तो
उसे स्वर्ग सा एहसास होता है
उसका इन सारी बातों को
यूँ ही नकार ,
सॉरी कह कर चले जाना
और
भावनाओं को बारिश की
बूँदो में मिला
कही खो जाना
म्रतप्राय कर गया मुझे !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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